LEPROSY कुष्ठ रोग / कोढ़ / جذام
LEPROSY कुष्ठ रोग / कोढ़ / جذام
यह "माइकोबैक्टीरियम लेप्री" (Mycobacterium leprae) नामक बैक्टीरिया द्वारा फैलाया जाने वाला एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। यह एक लंबे समय तक रहने वाला और लगातार बढ़ने वाला संक्रमण होता है। मुख्य रूप से यह इन्फेक्शन शरीर की नसों, हाथ-पैरों, नाक की परत और ऊपरी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। कुष्ठ रोग नसों को क्षतिग्रस्त कर देता है और त्वचा में घाव एवं मांसपेशियों में कमजोरी पैदा कर देता है।
कुष्ठ रोग अन्य फैलने वाले रोगों व संक्रमणों के मुकाबले काफी कम संक्रामक होता है। कुष्ठ रोग के सबसे मुख्य लक्षण हैं त्वचा पर घाव बनना और तंत्रिका प्रणाली में सनसनी में कमी होना है।
🔴 कुष्ठ रोग के प्रकार -
🔹ट्युबरक्युलॉइड (Tuberculoid)
🔹लेप्रोमेटस (Lepromatous)
ज्यादातर कुष्ट रोग के प्रकार इन दोनों का मिश्रण होते हैं। कुष्ठ रोगों के यह दोनों प्रकार त्वचा पर घाव बनाते हैं। लेकिन लेप्रोमेटस अधिक गंभीर प्रकार का संक्रमण होता है जिससे शरीर के प्रभावित हिस्सों का मांस बढ़ने लग जाता है और गांठ बनने लग जाती हैं।
🔴 कुष्ठ रोग के लक्षण-
कुष्ठ रोग के शुरूआती लक्षण व संकेत पहचानने मुश्किल होते हैं और वह धीरे-धीरे विकसित हैं। अक्सर इन लक्षणों को विकसित होने में लगभग एक साल का समय लग जाता है।
◾कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण:
🔸सुन्न होना
🔸तापमान में बदलाव महसूस ना होना
🔸स्पर्श महसूस ना होना
🔸सुई या पिन आदि चुभने जैसा महसूस होना
◾कुष्ठ रोग के अन्य लक्षण:
🔸जोड़ों में दर्द
🔸त्वचा पर दबाव देने पर भी त्वचा में कोई हरकत महसूस ना होना या कम महसूस होना
🔸नसें क्षतिग्रस्त होना
🔸वजन कम होना
🔸बाल झड़ना
◾कुष्ठ रोग बढ़ जाने पर होने वाले लक्षण:
🔸बड़े-बड़े अल्सर बनना
🔸समय के साथ उँगलियाँ छोटी होती जाना
🔸चेहरे का रूप बिगड़ना, जैसे नाक नष्ट हो जाना
🔴 कुष्ठ रोग के कारण-
कुष्ठ रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के धीरे-धीरे बढ़ने और कुष्ठ रोग के लक्षण विकसित होने में लंबा समय लगने के कारण अक्सर संक्रमण के स्रोत का पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
फिलहाल यह माना जाता है कि जब कुष्ठ रोग से ग्रस्त कोई व्यक्ति खुली हवा में खांसता या छींकता है तो उसके मुंह से तरल पदार्थ की सूक्ष्म बूंदे हवा में फैल जाती हैं जिनमें कुष्ठ रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया होते हैं। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति इन बूंदों को सांस के द्वारा अपने अंदर खींच लेता है तो व भी कुष्ठ रोग से संक्रमित हो जाता है। तथा कई महीने कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति के करीब संपर्क में रहने से आप कुष्ठ रोग से संक्रमित हो सकते हैं।
🔘कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को एक सामाजिक कलंक माना जाता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि ऐसी कौनसी स्थितियां हैं जिनमें कुष्ठ रोग नहीं फैलता।
कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्ति के साथ थोड़ा-बहुत संपर्क होने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता,
जैसे:
🔸हाथ मिलाना या गले लगना
🔸बस में एक दूसरे के आमने-सामने बैठना
🔸खाना खाते समय एक साथ बैठना
🔸कुष्ठ रोग का संक्रमण गर्भवती मां से उसके बच्चे में नहीं फैलता
🔸 और ना ही यह रोग शारीरिक संबंधों के दौरान फैलता।
🔴 कुष्ठ रोग से बचाव -
कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों जिनका इलाज नहीं चल रहा हो, लंबे समय तक उनके संपर्क में न आना कुष्ठ रोग से बचने का सबसे बेहतर तरीका है।
वर्तमान में ऐसा कोई टीकाकरण भी उपलब्ध नहीं है जो सभी लोगों में कुष्ठ रोग के प्रति पूरी प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
बीसीजी (BCG) समेत कुछ अन्य टीके भी हैं जो कुष्ठ रोग से कुछ हद तक बचा सकते हैं। परन्तु यह टीके कुछ लोगों को ज्यादा तो कुछ लोगों को कम सुरक्षा प्रदान करते हैं।
🔴 कुष्ठ रोग का परीक्षण -
कुष्ठ रोग की रोकथाम करने के लिए उन लोगों का जल्द से जल्द परीक्षण और इलाज करना चाहिए जिन में कुष्ठ रोग होने का संदेह है या इसके होने की पुष्टि की जा चुकी है।
डॉक्टर के लिए कुष्ठ रोग की पहचान करना आसान होता है, क्योंकि इसके शारीरिक लक्षण आसानी से दिख जाते हैं। डॉक्टर कुष्ठ रोग के मूल संकेत व लक्षणों को देखने के लिए आपका शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। कुष्ठ रोग के परीक्षण की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर "स्किन बायोप्सी" (Skin Biopsy) तथा कुष्ठ रोग के रूप या प्रकार का पता लगाने के लिए "लेप्रोमिन स्किन टेस्ट" (Lepromin skin test) टेस्ट भी कर सकते हैं।
👉 [Leprosy में कारगर कुछ Homoeopathic Medicines की जानकारी अगली पोस्ट में दी जाएगी ]
🧑⚕️Dr. TAHA KAUSAR ( B.H.M.S. Medico )🩺
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